Sunday, April 10, 2011

जिंदगी . . . . . . .


जिंदगी में खुश रहना उतना ही जरूरी है जितना की सांस लेना.. जब घर में कोई छोटा बच्चा पैदा होता है तो हम क्यों खुश होते है .. क्युकि हम एक नयी जिन्दगी का जश्न मनाना चाहते है... पर उस जिंदगी का क्या जो हमारे अन्दर है हम उसे क्यों भूल जाते है ..?? हमें क्यों हमेशा शिकायत होती है अपने आप से ... आखिर हम जैसे है वैसे है .. क्या हम खुद से भी खुश नही रह सकते .. आखिर खुद को बदलना तो हमारे हाथ में ही है न तो हम क्यों चाहते है हमारी हर मंजिल का रास्ता कोई ऊँगली पकड़ कर तय करवा दे... क्यों हम सिर्फ दुसरो के लिए जीने लगते है और उनके बिना जीवन को बेस्वाद पाते है जबकि मसालों का डिब्बा तो हमारे पास ही है ... हम इन्सान है इसलिए किसी के जाने पर दुःख होना स्वाभाविक है पर बस ध्यान इतना रखना है की वो दुःख हमारी उन खुशियों पर हावी न हो जो हमारे अन्दर है :) :) :)