tag:blogger.com,1999:blog-4866694344014686942.post6392146343202242676..comments2023-06-19T01:28:49.523-07:00Comments on उड़ान . . . . .: कई बार युही देखा है..........पंखhttp://www.blogger.com/profile/11603273644081381913noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4866694344014686942.post-70811031345639977582010-12-02T04:53:43.275-08:002010-12-02T04:53:43.275-08:00अब तो कोई डर नहीं है न..अब देखना धीरे-धीरे तुम ये ...अब तो कोई डर नहीं है न..अब देखना धीरे-धीरे तुम ये सब भूलते जाओगे..SAKET SHARMAhttps://www.blogger.com/profile/11249488966676421573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4866694344014686942.post-17046249917022143402010-11-26T03:50:01.076-08:002010-11-26T03:50:01.076-08:00... bhaavpoorn abhivyakti !!!... bhaavpoorn abhivyakti !!!नया सवेराhttps://www.blogger.com/profile/14420198613329878532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4866694344014686942.post-46952892519508566682010-11-24T22:54:21.540-08:002010-11-24T22:54:21.540-08:00इमरान जी के शब्दों से इकदम सहमत हूँ. साथ ही इतना औ...इमरान जी के शब्दों से इकदम सहमत हूँ. साथ ही इतना और कहूँगा अपने अनुभव से कि 'बहुत कुछ यहाँ, लक्ष्य भी' हमारे जीवन मे 'दिलचस्पी' शब्द से ताल्लुकात है. ये बनी रहती है और हम करते-गुज़रते रहते हैं बस. खुद को जानो, खुद को जीतो, यही दुनिया को जीतने की जीत है. यही लक्ष को पाने का मन्त्र. जब हम अपने ही सवालों में घिरने लगते हैं, मानो शुरुआत हो चुकी है, 'स्व यात्रा की'...शुभकामनाएं. आपकी बातें वाकई अच्छी लगीं.<br />---<br /><a href="http://poetryofamitksagar.blogspot.com/" rel="nofollow">कुछ ग़मों के दीये</a>Amit K Sagarhttps://www.blogger.com/profile/15327916625569849443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4866694344014686942.post-57126600725240612132010-11-23T21:24:28.396-08:002010-11-23T21:24:28.396-08:00श्वेता जी,
जीवन का एकमात्र लक्ष्य है स्वयं को जान...श्वेता जी,<br /><br />जीवन का एकमात्र लक्ष्य है स्वयं को जान लेना....स्वयं को पा लेना....क्योंकि एक स्वयं को पा लेने बाद और कुछ पाने को नहीं रह जाता है...तुम क्यों चिंता करते हो ....तुम जहाँ हो वही आनंदित होना सीख लो....फिर यहाँ या वहाँ क्या फर्क पड़ता है....ये जहाँ तुमसे है तुम इस जहाँ से नहीं हो....हाँ भौतिकम जीवन में भी कुछ लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी है....जो तुम्हे पसंद हो उसे चुने....अंधी दौड़ का हिस्सा मत बनो....जिसमे तुम्हारा सम्पूर्ण अस्तित्व जुड़े उस कार्य से जुड़ो.......<br /><br />शायद कुछ उपदेश हो गया है.....जो काम का लगे उसे रख लेना बाकी छोड़ देना...मेरी शुभकामनाये तुम्हारे साथ हैं ......खुदा तुम्हारा मुहाफ़िज़ रहे|Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4866694344014686942.post-34855664627186981362010-11-23T08:42:03.781-08:002010-11-23T08:42:03.781-08:00for details.....
literally call me....
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