
आज़ादी के पूर्व से ही राष्ट्रवाद को एक पक्ष विशेष के द्वारा धर्म से जोड़ दिया गया . भारत माता , वन्दे मातरम , नैतिक शिक्षा आदि बातो को हिंदुत्व से जोड़ने के कारन सरकारी तंत्र को इनसे परहेज करना पड़ा . धीरे धीरे हमारी शिक्षा पद्धति और हमारा सामाजिक चिंतन हर उस बात को नकारने लगा जो की एक राष्ट्र में राष्ट्रीयता की भावना को बड़ाने के लिए जरूरी होती है . इन्ही सब कारणों से पिछले ६० वर्षो में जो समाज निर्मित हुआ वो हमारी गौरवमयी प्राचीन परंपरा से दूर होता चला गया ... आज स्थिति यह है की हमारे देश को दिशा देने वाला नेतृत्व भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है .. २G SPECTRUM घोटाला , CWG घोटाला , आदर्श सोसाइटी घोटाला आदि इतने बड़े बड़े घोटाले हो रहे है की कितने शून्यो का उपयोग करना है दस बार सोचना पड़ता है . उपरोक्त घोटाले इसलिए हुए की खजाने की चाबी चोर के पास ही थी .. कानून बनाने वाले भी वही थे और तोड़ने वाले एक ही लोग थे . इस स्तिथि से उभरने का एक मात्र हल यही है की राष्ट्रप्रेम की भावना को बढावा दिया जाय .. व्यक्ति व्यक्तिगत हित से राष्ट्रहित को आगे रखे . राष्ट्र प्रेम की भावना को बड़ाने के लिए स्कूल कॉलेज में नैतिक शिक्षा का पाठ्यक्रम साम्प्रदायिकता को नजरअंदाज करते हुए शीघ्र शुरू करना चाहिए . हर देश का एक नैतिक द्रष्टिकोण होता है जो की उसके प्राचीन धर्म और संस्कृति पर आधारित होता है लेकिन भारत की मूल धर्म और संस्कृति क्या है इसी को लेकर पिछले ६० साल से विवाद की स्तिथि है देशहित में यह अत्यंत जरूरी है की हम इस दुविधा की स्थिति से बाहर आये वरना इस देश के भविष्य को बर्बाद होने से कोई नही बचा सकता .
सनद जिंदल my papa :)
atyant vichaarneey post hai
ReplyDeleteaapki baaton se poori tarah sahmat hain
aabhaar
shubh kamnayen
पंख और उड़ान के लिए शुभकामनायें !
ReplyDeleteवहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तरी की जाये उतनी कम होगी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक